ये तो निराला मौका है भाई! कॉल बॉय के दिन पर, सब हर्ष से समय बिताते हैं. बच्चों का ये त्यौहार है, जो कुछ शहर में मनाया जाता है. इस मौके पर, कॉल बॉय शब्दों से दिखाते हैं.
- कॉल बॉय के साथ के रूप में भी मनाते हैं.
- हर साल इस दिन पर, कॉल बॉय पुराने फोन का इस्तेमाल करते हैं.
- कॉलबॉय का दिन एक यादगार दिन है.
कॉल बॉय की भूमिका
द रोल ऑफ़ ए कॉल बॉय अति आवश्यक है। वह कार्यालय में लोगों को जोड़ता है और उनकी जरूरतों को पूरा करता है । कॉल बॉय का काम में, वह लोगों को साथ देती है और उन्हें समस्याओं का समाधान करता है ।
- एक कॉल बॉय की भूमिका होती है
- कॉल बॉय को प्रमाणित किया जाता है
टेलीफोन नेटवर्क में एक जीवन
पहले दिनों में टेलीफोन नेटवर्क एक जंगल था, जहाँ हर फोन कॉल एक यात्रा बन जाता था। "कॉल बॉय: अ लाइफ इन टेलीफोन नेटवर्क" यह दुनिया का एक चित्रण है, जहाँ हर कॉल की यात्रा एक नई कहानी शुरू करती थी।
वे काम सिर्फ कॉल को जोड़ने से ज़्यादा था; यह लोगों के जीवन में युग्मन बनाता था। हर आवाज ने विभिन्न क्षणों का उत्पन्न किया - कभी खुशी, कभी दुख, और कभी तो बस एक शांत मौन।
यह किताब हमें उस दिन में वापस ले जाती है जब टेलीफोन नेटवर्क एक रहस्यमय दुनिया था, और कॉल बॉय न सिर्फ एक मैनपावर थे, बल्कि एक परिवार का भी हिस्सा थे।
टेलीफोन का युग और कॉल बॉय
पहले दशकों पहले, जब टेलीफोन एक नई खोज था, तब हर कोई उत्साहित थे। here यह एक ऐसा तरीका था जो लोगों को एक-दूसरे से दूर बातें करने में मदद करता था। प्रत्येक शहर में एक कॉल बॉय होता था, जो लाइन के साथ जुड़ा रहता था और लोगों को कनेक्ट करता था।
लिंक बॉय का काम बहुत ही महत्वपूर्ण था। वह लाइन के लिए उत्तरदायी रहता था और किसी भी तरह की तनाव का समाधान करता था।
उनके पास एक लंबा सूची होता था, जिसमें सभी ग्राहकों के नाम और उनके साथ जुड़े हुए नंबर होते थे। अगर कोई व्यक्ति कॉल करना चाहता था तो कॉल बॉय उसके लिए लिंक स्थापित करता था और बातचीत पूरी होने तक उन्हें जोड़कर रखता था।
उनके पास एक निपुण दिमाग होता था, क्योंकि उन्हें कई बार साथ ही एक साथ संवाद को मैनेज करना पड़ता था।
फोन वाले की नौकरी
यह एक पुरानी नौकरी है। आजकल तो यह बहुत दुर्लभ हो गया है। पहले यह बहुत प्रचलित था।
हर लोग इस व्यवसाय में थे। वे लोगों के लिए जुड़ाव करते थे।
The physicality of calling
It's more about a transmission. When we call someone, there's a tangible connection. The weight to our ear, the subtle tremor in our voice, even the pause between words can speak volumes. It's a display of reaching out.